शुक्रवार, 1 जुलाई 2011

रुद्राक्ष-शिव के आँख के तारे

रुद्राक्ष का महत्व

रुद्राक्ष

देवता             

मंत्र

१ मुखी

शिव

1-ॐ नमः शिवाय । 2 –ॐ ह्रीं नमः

२ मुखी

अर्धनारीश्वर

ॐ नमः

३ मुखी

अग्निदेव

ॐ क्लीं नमः

४ मुखी

ब्रह्मा,सरस्वती

ॐ ह्रीं नमः

५ मुखी

कालाग्नि रुद्र

ॐ ह्रीं नमः

६ मुखी

कार्तिकेय, इन्द्र,इंद्राणी

ॐ ह्रीं हुं नमः

७ मुखी

नागराज अनंत,सप्तर्षि,सप्तमातृकाएँ

ॐ हुं नमः

८ मुखी

भैरव,अष्ट विनायक

ॐ हुं नमः

९ मुखी

माँ दुर्गा

१-ॐ ह्रीं दुं दुर्गायै नमः २-ॐ ह्रीं हुं नमः

१० मुखी

विष्णु

१-ॐ नमो भवाते वासुदेवाय २-ॐ ह्रीं नमः

११ मुखी

एकादश रुद्र

१-ॐ तत्पुरुषाय विदमहे महादेवय धीमही तन्नो रुद्रः प्रचोदयात २-ॐ ह्रीं हुं नमः

१२ मुखी

सूर्य

१-ॐ ह्रीम् घृणिः सूर्यआदित्यः श्रीं २-ॐ क्रौं क्ष्रौं रौं नमः

१३ मुखी

कार्तिकेय, इंद्र

१-ऐं हुं क्षुं क्लीं कुमाराय नमः २-ॐ ह्रीं नमः

१४ मुखी

शिव,हनुमान,आज्ञा चक्र

ॐ नमः

१५ मुखी

पशुपति

ॐ पशुपत्यै नमः

१६ मुखी

महामृत्युंजय ,महाकाल

ॐ ह्रौं जूं सः त्र्यंबकम् यजमहे सुगंधिम् पुष्टिवर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान् मृत्योर्मुक्षीय सः जूं ह्रौं ॐ

१७ मुखी

विश्वकर्मा ,माँ कात्यायनी

ॐ विश्वकर्मणे नमः

१८ मुखी

माँ पार्वती

ॐ नमो भगवाते नारायणाय

१९ मुखी

नारायण

ॐ नमो भवाते वासुदेवाय

२० मुखी

ब्रह्मा

ॐ सच्चिदेकं ब्रह्म

२१ मुखी

कुबेर

ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्य समृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा


 

आपकी ग्रह-राशि-नक्षत्र के  अनुसार रुद्राक्ष धारण करें

 

  

ग्रह  

   राषि  

नक्षत्र

लाभकारी रुद्राक्ष

मंगल  

   मेष  

मृगषिरा-चित्रा-धनिष्ठा

३ मुखी

शुक्र  

   वृषभ  

भरणी-पूर्वाफाल्गुनी-पूर्वाषाढ़ा

६ मुखी,१३ मुखी,१५ मुखी

बुध  

   मिथुन  

आष्लेषा-ज्येष्ठा-रेवती

४ मुखी

चन्द्र  

   कर्क  

रोहिणी-हस्त-श्रवण

२ मुखी, गौरी-शंकर रुद्राक्ष

सूर्य   

   सिंह  

कृत्तिका-उत्तराफाल्गुनी-उत्तराषाढ़ा

1 मुखी, १२ मुखी

बुध  

   कन्या  

आष्लेषा-ज्येष्ठा-रेवती

४ मुखी

शुक्र  

   तुला  

भरणी-पूर्वाफाल्गुनी-पूर्वाषाढ़ा

६ मुखी,१३ मुखी,१५ मुखी

मंगल  

   वृष्चिक  

मृगषिरा-चित्रा-धनिष्ठा

३ मुखी

गुरु  

   धनु-मीन  

पुनर्वसु-विषाखा-पूर्वाभाद्रपद

५ मुखी

शनि  

   मकर-कुंभ  

पुष्य-अनुराधा-उत्तराभाद्रपद

७ मुखी, १४ मुखी

   

शनि  

   मकर-कुंभ  

पुष्य-अनुराधा-उत्तराभाद्रपद

७ मुखी, १४ मुखी

गुरु  

   धनु-मीन  

पुनर्वसु-विषाखा-पूर्वाभाद्रपद

५ मुखी

राहु  

   -  

आर्द्रा-स्वाति-षतभिषा

८ मुखी, १८ मुखी

केतु   

   -  

अष्विनी-मघा-मूल

९ मुखी,१७ मुखी

   

   

नवग्रह दोष निवारणार्थ

१० मुखी, २१ मुखी

विषेष : १० मुखी और ११ मुखी किसी एक ग्रह का प्रतिनिधित्व नहीं करते।बल्कि नवग्रहों के दोष निवारणार्थ प्रयोग मे लाय जाते हैं ।

             जन्म लग्न के अनुसार रुद्राक्ष धारण

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रत्न धरण करने के लिए जन्म लग्न का उपयोग सर्वाधिक प्रचलित है । रत्न प्रकृति का एक अनुपम उपहार है। आदि काल से ग्रह दोषों तथा अन्य समस्याओं से मुक्ति हेतु रत्न धारण करने की परंपरा है।आपकी कुंडली के अनुरूप सही और दोषमुक्त रत्न धारण करना फलदायी होता है। अन्यथा उपयोग करने पर यह नुकसानदेह भी हो सकता है। वर्तमान समय में शुद्ध एवं दोषमुक्त रत्न बहुत कीमती हो गए हैं, जिससे वे जनसाधारण की पहुंच के बाहर हो गए हैं। अतः विकल्प के रूप में रुद्राक्ष धारण एक सरल एवं सस्ता उपाय है। साथ ही रुद्राक्ष धारण से कोई नुकसान भी नहीं है, बल्कि यह किसी न किसी रूप में जातक को लाभ ही प्रदान करता है। क्योंकि रुद्राक्ष पर ग्रहों के साथ साथ देवताओं का वास माना जाता है।     कुंडली में त्रिकोण अर्थात लग्न, पंचम एवं नवम भाव सर्वाधिक बलशाली माना गया है। लग्न अर्थात जीवन, आयुष्य एवं आरोग्य, पंचम अर्थात बल, बुद्धि, विद्या एवं प्रसिद्धि, नवम अर्थात भाग्य एवं धर्म। अतः लग्न के अनुसार कुंडली के त्रिकोण भाव के स्वामी ग्रह कभी अशुभ फल नहीं देते, अशुभ स्थान पर रहने पर भी मदद ही करते हैं । इसलिए इनके रुद्राक्ष धारण करना सर्वाधिक शुभ है। इस संदर्भ में एक संक्षिप्त विवरण यहां तालिका में प्रस्तुत है।हमने कई बार देखा है कि कुंडली में शुभ-योग मौजूद होने के बावजूद उन योगों से संबंधित ग्रहों के रत्न धारण करना लग्नानुसार अशुभ होता है। उदाहरण के रूप में मकर लग्न में सूर्य अष्टमेश हो, तो अशुभ और चंद्र सप्तमेश हो, तो मारक होता है। मंगल चतुर्थेष-एकादषेष होने पर भी लग्नेष शनि का शत्रु होने के कारण अशुभ नहीं होता। गुरु तृतीयेश-व्ययेश होने के कारण अत्यंत अशुभ होता है। ऐसे में मकर लग्न के जातकों के लिए माणिक्य, मोती, मूंगा और पुखराज धारण करना अशुभ है। परंतु यदि मकर लग्न की कुंडली में बुधादित्य ,गजकेसरी, लक्ष्मी जैसा शुभ योग हो और वह सूर्य, चंद्र, मंगल या गुरु से संबंधित हो, तो इन योगों के शुभाशुभ प्रभाव में वृद्धि हेतु इन ग्रहों से संबंधित रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, अर्थात गजकेसरी योग के लिए दो और पांच मुखी, लक्ष्मी योग के लिए दो और तीन मुखी और बुधादित्य योग के लिए चार और एक मुखी रुद्राक्ष।रुद्राक्ष ग्रहों के शुभफल सदैव देते हैं परंतु अशुभफल नहीं देते।  

लग्न  

त्रिकोणाधिपति ग्रह  

   लाभकारी रुद्राक्ष

मेष  

मंगल-सूर्य-गुरु  

३ मुखी + 1 या १२ मुखी + ५ मुखी

वृषश्  

शुक्र-बुध-षनि

६ या १३ मुखी + ४ मुखी + ७ या १४ मुखी

मिथुन  

बुध-षुक्र-षनि  

४ मुखी + ६ या १३ मुखी + ७ या १४ मुखी   

कर्क  

चंद्र-मंगल-गुरु  

२ मुखी + ३ मुखी + ५ मुखी

सिंह  

सूर्य-गुरु-मंगल  

1 या १२ मुखी + ५ मुखी + ६ मुखी

कन्या  

बुध-षनि-षुक्र  

४ मुखी + ७ या १४ मुखी + ६ या १३ मुखी

तुला  

शुक्र-षनि-बुध  

६ या १३ मुखी + ७ या १४ मुखी + ४ मुखी

वृष्चिक  

मंगल-गुरु-चंद्र     

३ मुखी + ५ मुखी + २ मुखी

धनु  

गुरु-मंगल-सिंह  

५ मुखी + ३ मुखी + 1 या १२ मुखी   

मकर  

शनि-षुक्र-बुध  

७ या १४ मुखी + ६ या १३ मुखी + ४ मुखी

  

कुंभ  

शनि-बुध-षुक्र  

७ या १४ मुखी + ४ मुखी + ६ या १३ मुखी

 

मीन  

गुरु-चंद्र-मंगल  

५ मुखी + २ मुखी + ३ मुखी

 

अंकषास्त्र के अनुसार रुद्राक्ष-धारण

जिन जातकों जन्म लग्न, राशि, नक्षत्र नहीं मालूम है वे अंक ज्योतिष के अनुसार जातक को अपने मूलांक, भाग्यांक और नामांक के अनुरूप रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं। 1 से ९ तक के अंक मूलांक होते हैं। प्रत्येक अंक किसी ग्रह विशेष का प्रतिनिधित्व करता है, जैसे अंक 1 सूर्य, २ चंद्र, ३ गुरु, ४ राहु, ५ बुध, ६ शुक्र, ७ केतु, ८ शनि और ९ मंगल का। अतः जातक को मूलांक, भाग्यांक और नामांक से संबंधित ग्रह के रुद्राक्ष धारण करने चाहिए।

आप अपने कार्य-क्षेत्र के अनुसार भी रुद्राक्ष धारण का सकते हैं

कुछ लोगों के पास जन्म कुंडली इत्यादि की जानकारी नहीं होती वे लोग अपने कार्यक्षेत्र के अनुसार भी रुद्राक्ष का लाभ उठा सकते हैं । कार्य की प्रकृति के अनुरूप रुद्राक्ष-धारण करना कैरियर के सर्वांगीण विकास हेतु शुभ एवं फलदायी होता है। किस कार्य क्षेत्र के लिए कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए, इसका एक संक्षिप्त विवरण यहां प्रस्तुत है।


 

    नेता-मंत्री-विधायक सांसदों के लिए - 1 और १४ मुखी।

    प्रशासनिक अधिकारियों के लिए       - 1 और १४ मुखी।

    जज एवं न्यायाधीशों के लिए - २ और १४ मुखी।

    वकील के लिए - ४, ६ और १३ मुखी।

    बैंक मैनेजर के लिए - ११ और १३ मुखी।

    बैंक में कार्यरत कर्मचारियों के लिए - ४ और ११ मुखी।

    चार्टर्ड एकाउन्टेंट एवं कंपनी सेक्रेटरी के लिए - ४, ६, ८ और १२ मुखी।

    एकाउन्टेंट एवं खाता-बही का कार्य करने वाले कर्मचारियों के लिए - ४ और १२ मुखी।

    पुलिस अधिकारी के लिए - ९ और १३ मुखी।

    पुलिस/मिलिट्री सेवा में काम करने वालों के लिए - ४ और ९ मुखी।

    डॉक्टर एवं वैद्य के लिए - १, ७, ८ और ११ मुखी।

    फिजीशियन (डॉक्टर) के लिए - १० और ११ मुखी।

    सर्जन (डॉक्टर) के लिए - १०, १२ और १४ मुखी।

    नर्स-केमिस्ट-कंपाउण्डर के लिए - ३ और ४ मुखी।

    दवा-विक्रेता या मेडिकल एजेंट के लिए - १, ७ और १० मुखी।

    मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के लिए - ३ और १० मुखी।

    मेकैनिकल इंजीनियर के लिए - १० और ११ मुखी।

    सिविल इंजीनियर के लिए - ८ और १४ मुखी।

    इलेक्ट्रिकल इंजीनियर के लिए - ७ और ११ मुखी।

    कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंजीनियर के लिए - १४ मुखी और गौरी-शंकर।

    कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियर के लिए - ९ और १२ मुखी।

    पायलट और वायुसेना अधिकारी के लिए - १० और ११ मुखी।

    जलयान चालक के लिए - ८ और १२ मुखी।

    रेल-बस-कार चालक के लिए - ७ और १० मुखी।

    प्रोफेसर एवं अध्यापक के लिए - ४, ६ और १४ मुखी।

    गणितज्ञ या गणित के प्रोफेसर के लिए - ३, ४, ७ और ११ मुखी।

    इतिहास के प्रोफेसर के लिए - ४, ११ और ७ या १४ मुखी।

    भूगोल के प्रोफेसर के लिए - ३, ४ और ११ मुखी।

    क्लर्क, टाइपिस्ट, स्टेनोग्रॉफर के लिए - १, ४, ८ और ११ मुखी।

    ठेकेदार के लिए - ११, १३ और १४ मुखी।

    प्रॉपर्टी डीलर के लिए - ३, ४, १० और १४ मुखी।

    दुकानदार के लिए - १०, १३ और १४ मुखी।

    मार्केटिंग एवं फायनान्स व्यवसायिओं के लिए - ९, १२ और १४ मुखी।

    उद्योगपति के लिए - १२ और १४ मुखी।

    संगीतकारों-कवियों के लिए - ९ और १३ मुखी।

    लेखक या प्रकाशक के लिए - १, ४, ८ और ११ मुखी।

    पुस्तक व्यवसाय से संबंधित एजेंट के लिए - १, ४ और ९ मुखी।

    दार्शनिक और विचारक के लिए - ७, ११ और १४ मुखी।

    होटल मालिक के लिए - १, १३ और १४ मुखी।

    रेस्टोरेंट मालिक के लिए - २, ४, ६ और ११ मुखी।

    सिनेमाघर-थियेटर के मालिक या फिल्म-डिस्ट्रीब्यूटर के लिए - १, ४, ६ और ११ मुखी।

    सोडा वाटर व्यवसाय के लिए - २, ४ और १२ मुखी।

    फैंसी स्टोर, सौन्दर्य-प्रसाधन सामग्री के विक्रेताओं के लिए - ४, ६ और ११ मुखी रुद्राक्ष।

    कपड़ा व्यापारी के लिए - २ और ४ मुखी।

    बिजली की दुकान-विक्रेता के लिए - १, ३, ९ और ११ मुखी।

    रेडियो दुकान-विक्रेता के लिए - १, ९ और ११ मुखी।

    लकडी+ या फर्नीचर विक्रेता के लिए - १, ४, ६ और ११ मुखी।

    ज्योतिषी के लिए - १, ४, ११ और १४ मुखी रुद्राक्ष ।

    पुरोहित के लिए - १, ९ और ११ मुखी।

    ज्योतिष तथा र्धामिक कृत्यों से संबंधित व्यवसाय के लिए - १, ४ और ११ मुखी।

    जासूस या डिटेक्टिव एंजेसी के लिए - ३, ४, ९, ११ और १४ मुखी।

    जीवन में सफलता के लिए - १, ११ और १४ मुखी।

    जीवन में उच्चतम सफलता के लिए - १, ११, १४ और २१ मुखी।

विषेष : इनके साथ-साथ ५ मुखी रुद्राक्ष भी धारण किया जाना चाहिए।


 


 


 


 

राशि
के
अनुसार
लगाएं
पेड़

मेष राशि वाले व्यक्ति आंवला, वृषभ राशि वाले जामुन, मिथुन वाले शीशम, कर्क वाले बांस, सिंह वाले बरगद, कन्या वाले बिल्व, तुला वाले अर्जुन, वृश्चिक वाले मोलसरी, धनु राशि वाले कटहल, मकर राशि वाले खेजड़ी, कुंभ राशि वाले कदंब व मीन राशि वाले आम का पौधा लगा सकते हैं।


 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें